Explorer's Blog
Thursday, April 1, 2021
काँप उठती हूँ में ये सोच के तन्हाई में
मेरे चेहरे पे तिरा नाम पढ़ न ले कोई
परवीन शाकिर
'जश्न-ए-खुशबू'
प्रकाशक : रेमाधव आर्ट,
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