Monday, December 23, 2013

सुदामा याद आता है


सुदामा याद आता है 


हितैषी हो अगर कोई, सदा सद मान रखता है,
गर्दिश में आ जाएं,  तो अंगुली थाम लेता है।    

बहुत से धन ज़माने में, जमा कर कोई सकता है, 
मगर इक मीत जीवन में, खुदा ही भेंट करता है।  

बहक  जाएं जो राहों से, हमें रस्ते पे लाता है,
कभी जो हार के बैठे, भरोसा वो दिलाता है।  

नहीं अच्छे - भले में ही हमारा साथ देता है,
बुरा करने पे नाराज़ी से नश्तर मार देता है।  

बढ़ें जो आप आगे हम, ख़ुशी से वो अघाता है, 
जहां मिलता है, धीमे से, मगन वो मुस्कुराता है।

धन, बोल, बानी, कद. बड़ा, ना दर्प करता है, 
गले मिलता है ऐसे वो, सुदामा याद आता है। 
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Thursday, December 12, 2013

यूंही ज़माना चल रहा

यूंही ज़माना चल रहा


1.
इस किनारे, पार उस, क्या देखता है तू ,
धार की रंगत अजब, तजबीजता है तू !   

2.
मीत ही समझा किया, गुनता रहा जिन तू,
किस तरह आहत किया, अब सोचता  है तू ! 

3.
साथ में चलता हुआ, फिर-फिर ठगा है तू , 
रिश्ते नही, रूपा ही सब, अब चौंकता है तू !        

4.
आदत वही, वो ही चलन, ना छोड़ता है तू ,
फिर वैतलवा डाल पर,  ज्यूँ डोलता है तू !  

5.
सरकसी का मामला, समझा नहीं ये तू, 
चढ़, वो नसेनी तोड़ते, नीचे रहा है तू !    

6.
आँख का पानी मरा, क्या ढूँढता है तू,
अपने लिहाज़ों का नतीज़ा, भोगता है तू !  , 

7.
दोष उनका है कहाँ, क्यों रूसता  है तू ,
यूंही ज़माना चल रहा, क्यों भूलता है तू !

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Thursday, December 5, 2013

ऐसा ही सही

ऐसा ही सही 
 
१ 
नेह रखते हैं, उनसे, महज मासूमी से,
 सब छोड़ दें उनके लिए, ऐसा भी नहीं। 
२. 
खबर रखते हैं सब, उडती हुई निगाहों से,
करीब जा रुकें तनिक, ऐसा भी नहीं। 
३.  
रिश्ते बहुत से, और भी हैं, इस जहाँ में उनके,
तोड़ कर उनको चले जाएं, ऐसा भी नहीं।  
४.  
उस जहाँ में हैं जहां, मौज़ों में हैं रहा करते, 
 पार उसके निकल जाएं, ऐसा भी नहीं। 
 ५. 
साजो सामान हैं जो उनका दिल लगाने के,
भूल कर उनको चले आएं, ऐसा भी नहीं।  
 ६.
कैसी ये रीति है, उनकी ये कैसी प्रीति भरी,
अलग ज़माने से  जा सकें, ऐसा भी नहीं।
 ७. 
हज़ारहाँ बार की हैं कोशिशें  दीवारों ने,
रोक पाएं उनका नेह वो, ऐसा भी नहीं।
 ८. 
अपने आलम में रहें, वो इसी सलीके से, 
उनने भी मन मना लियाऐसा ही सही।  
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