Sunday, April 3, 2022

बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !!

'बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !! '


किसी ठिकाने ठौर न पावे, 
पता नहीं क्या मंजिल आगे, 
कहाँ टिकेगा सांझ सकारे,  
बन बन यूंही भटकन वारे,
बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !!  

मनमोहन ये कूल किनारे, 
गमक भरे ये उपवन न्यारे, 
भर-भर नेह लुटाने वाले, 
छूटेंगे पग पग पर प्यारे,  
बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !!  

मिला कहाँ क्या छूटा कैसे,
हुई खता क्या रूठे कैसे, 
गगरी ये वो फूटी भरके, , 
मन मायामय बहु भरमाये,
बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !!

अनचीते की तीती बातें,   
सिरजे तीखे मीठे नाते,  
जो पावै सो ही गंठियाये,
चला-चला चल यूं भिन्सारे, 
बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !! 

बिसरि बसाए कसक सिराए, 
भरि-भरि माथे उफन बहाए,  
घाट-घाट कै पानी परसै
सर सागर सरजमीं मंझारे, 
बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !! 
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