Wednesday, April 14, 2021

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'दिन भर लाइब्रेरी में खपता, फेलोशिप के लिए मटेरियल तलाशते पढ़ते, नोट्स बनाते और चुनिंदा पेजों के फोटोस्टेट कराते। शाम ढलते, पैदल लौटते वही ख़याल ज़ेहन में तैरने लगते। कुछ देर कैम नदी में नाव की सैर/ पंटिंग करते टूरिस्टों टूरिस्टों की धूम पर उड़ती नज़र डालते, कभी कभी यूनिवर्सिटी कैंटीन में काफी के एक प्याले पर लंबा समय अनमना सा उदास उदास कट जाता। रेंटेड रूम में पहुँच कर अकेलापन काटने सा लगता।

उस ज़माने में नया नया सीखा कम्प्यूटर और नोकिया का छोटा मोबाइल फोन बड़ा काम आया। लाइब्रेरी के डेस्क-टॉप पर इंटरनेट सर्विस ने कम्युनिकेशन का रास्ता खोल दिया।    


क्रमशः 

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