Thursday, March 30, 2017

जोगीरा सारा रा रा

जोगीरा सारा रा रा 

जोगीरा सारा रा रा ------------ बूझो कौन
होरियारे धावन लगे, बाजन लागे चंग,
 फाग उड़ाते डोलते, उड़ै केसरिया रंग।
सोचत ते आराम से, पहुंड़ रहेंगे घर,
लेकिन आलस टूटि गा, चढ़ा गुलाबी रंग।
तन मन बौरावन लगे, फरकन लागे अंग,
पग अपनौ बहकन लगे, चढ़ गयी थोरी भंग।
चुहल भरी होरी मिली, हरिनाकश्यप संग,
आपौ थोरा भीज कर, छको फाग के तंज।
जोगीरा सारा रा रा, जोगीरा सारा रा रा -----
सारा रा रा -----सारा रा रा -----सारा रा रा -----
१.
आज बिरज में होरी मेरे रसिया,
आज बिरज में होरी बृजबसिया।
 नब्बे पार शतक का चस्का,
रस भीने ज्यों छलका ढरका।
 पदम् राग सोहै माथे पर,
रंग गुलाल शोभै गाले पर।
 छूटत नाहीं रंग ये गहरा,
बाबा फिर फिर बन गए रसिया।
 राधे राधे गुनती दुनिया !!!!!
(जोगीरा सारा रा रा --- , जोगीरा सारा रा रा --- बूझो कौन)
२.
काशी में केशव मिले
फागुन में बौराय,
अल्ल बल्ल बकने लगे,
अस्सी में पतियाय।
 उज्जर केश केशनि किए
केशव समझ न पांय,
बानर बालक एक से
बाबा कहि कहि जांय।
ऐसी वय तुम्हरी भयी,
प्रभु ही करैं सहाय।
(जोगीरा सारा रा रा --- , जोगीरा सारा रा रा --- बूझो कौन)
३.
हरिद्रोही हद्दई करैं
पकै उद्द की दाल।
 लखनउआ बानी धरैं,
बनी सजीली चाल।
 उमर भई बन में ह्लैं
चुस्की लें मुस्काय।
सबै कहीं विचरा करैं
नारद मुनि की नाय।
बड़े बड़े बूड़ा किये,
माया समझ न आय।
(जोगीरा सारा रा रा --- , जोगीरा सारा रा रा --- बूझो कौन)
४.
रश्मिरथी के रंग में,
रंगी गैंती देख,
नए नए रंग में रंगी,
परत उतरती देख।
 देख रंगीली पॉटरी,
उठती नयी उमंग,
साठ पार पाठा भए,
मोछा भरे तरंग।
(जोगीरा सारा रा रा --- , जोगीरा सारा रा रा --- बूझो कौन)
५.
दाढ़ी में रंग बहुत हैं,
जित देखौ तित रंग,
चित चंचल मानत नहीं,
चितवन चरिहुँ लंग।
सबकी होरी बर रही
बरस बरस के रोज़,
वै लूका थामे फिरैं,
गली गली में तंग।
 होरियारे मानें नहीं,
घेर लिए लै रंग,
होरी में उनकौ किए,
चारों खाने चित्त।
(जोगीरा सारा रा रा --- , जोगीरा सारा रा रा --- बूझो कौन)
६.
लागी ऐसी लग गयी,
एकहि एक लकीर,
गंगा तीरे बस गयी,
उनकी सब तदबीर।
जाय द्वारिका बस रही,
गोकुल की तसवीर।
 ब्रज की छूटी अस बसी
गोपिन भईं अधीर।
 उद्धव गति लेकर फिरैं,
अगिया वारे बीर।
(जोगीरा सारा रा रा --- , जोगीरा सारा रा रा --- बूझो कौन)

क्या करें

क्या करें
१.
अपना-पराया ना दिखे, वो क्या करें,
हैं इस कदर बहके हुए,वो क्या करें।
२.
दहलीज़ पर काई बहुत, वो क्या करें,
राह है फिसलन भरी, वो क्या करें
३.
है समन्दर सामने, वो क्या करें,
आ कर किनारे डूबते, वो क्या करें।
४.
उनको पुकारा तो बहुत, वो क्या करें,
लहरों में हैं सुनते नहीं, वो क्या करें।
५.
होश खोया जोश फिर, वो क्या करें,
अच्छा-बुरा समझें नहीं, वो क्या करें।
६.
आग तो है आग फिर, वो क्या करें,
तापते हैं 'और' फिर, वो क्या करें।
७.
हैं सयाने ही सभी, वो क्या करें,
तीर टिप्पस साधते, वो क्या करें।
८.
दिल की दिल ही में रहे, वो क्या करें,
लोग सम्मोहन में हैं, वो क्या करें।
९.
लौ पर पतंगे डोलते, वो क्या करें,
है नियति ऐसी अगर, वो क्या करें।
१०.
साथ संग ऐसा किया, वो क्या करें,
सेंध तो लगनी ही है, वो क्या करें।
११.
दिन में दिन दिखता नहीं, वो क्या करें,
 इतनी अधीरी आस है, वो क्या करें।
१२.
बस खैर उनकी मांगते, वो क्या करें,
अल्लाह तो वो हैं नहीं, वो क्या करें।
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मौसम है

Rakesh Tewari
मौसम है
मौसम है रंग उड़ाने का,
मस्ती का, मस्तानों का,
बहकी, महकी बातों का, 
मादक महुए वालों का।
अफसानों का, अरमानों का,
मनचाही पेंग बढ़ाने का,
ऐय्यारी का, लफ्फाजी का,
मौसम है रंग उड़ाने का।
चंडूखाने की ख़बरों का,
इठलाने का, इतराने का,
कनफुसकी में जीने का,
मौसम है रंग उड़ाने का।
अपने ही मन की गाने का,
बेमसरफ उड़ जाने का,
मन आया सो बकने का,
मौसम है रंग उड़ाने का।
आँखों पर झाँपा कसने का,
अटक भटक कर, खोने का,
भरमाने का, खिझियाने का,
मौसम है रंग उड़ाने का।
बेबाती गाल बजाने का,
 कौओं से कान कटाने का,
 गरियाने, धूर उड़ाने का,
 मौसम है रंग उड़ाने का।
चरागाह में हलचल का,
रेवड़ ले कर चलने का,
भेड़ों पर घात लगाने का,
 मौसम है रंग उड़ाने का।
रंगों में छुप जाने का,
गैरों को गले लगाने का,
अपनों को और समझने का,
मौसम है रंग उड़ाने का।
ज़ज़्बातों में बहने का,
चालों का उड़न तरानों का,
चोला नया रंगाने का,
 मौसम है रंग उड़ाने का।
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