Wednesday, November 20, 2019

' अनजान मत बनिए !!'

' अनजान मत बनिए !!'
18.11.2019

क्या ऐसा हो गया, बतला !
कि यूँ मायूस क्यों हुए !!

छुपा रहे हैं आप जो !
कहे बिना भी ना छुपे !!

रहे चुपचाप ओ गुमसुम !
कि खामोशी बहुत बोले !!

ये मंज़िल है नहीं तेरी !
नहीं ठहरें चले चलिए !!

कि लम्बी हैं बहुत राहें !
यूँ आहत हो नहीं रुकते !!

ठिकाने मिल ही जाएंगे !
भरोसा आप पे रखिए !!

बहुत है कीमती हर पल !
कि रसिए डूब कर रमिए! !!

कि सुन कर टेर ये जगिए !
कि यूँ अनजान मत बनिए !!
-----

Monday, November 4, 2019

नव ऋतू,

Rakesh Tewari
Published by Rakesh TewariSeptember 23
नव ऋतू,
पग नान्हें,
बढ़ा रही,
धरती हरियाली,
छाय रही।
कांस खिले,
पाँतिन
पाँतिन,
बगुला पांखी
सिहराय रही।

आया है,

Rakesh Tewari
Published by Rakesh TewariSeptember 29
आया है,
नव रंग लिए,
नव कुसुम लिए,
रस गमक संग,
मधु पाग लिए।
रीझो इस पर,
रच लो,
सज लो,
भर कंठ छको,
घन नेह लिए।

पहिला कोहरा,

01/10/2019 

पहिला कोहरा, ओदी ओस,
झुरमुर तलुवा, लागै भोर !

'तार-तार हो सरक गयी'

Rakesh Tewari 31. 10.2019

'तार-तार हो सरक गयी'

सोचता रहा,
पग, धरते-बढ़ते,
कंकरीली पथ-पथरी,
भोथराय गयी ।

तट पर आन लगी,
भावों वाली बहिया,
गतिहीन हुई।
झप झप करती
सुख-दुःख ङोलनी, ठहरी,
लहरें, समभाव भईं ।

रसते-रमते,
हो चले परे,
उलझे फन्दों से दुनियावी।
गड़ने लागी,
हलकी हलचल से ही लहरें
तटबन्ध तोड़ उफनाय चलीं।
बड़ा वेग धर घन आयी .
कोमल मन पर चढ़ी यवनिका,
तार तार हो सरक गयी।।


भवसागर पार पँवरते बहते,
झंझावातों से जूझ रही ,
प्रबल, मोह-माया में,
सहसा, तलवों में नरम दूब
सहसा बढ़ती नेह धार, फिर,
------

'काश: मशगूल रह पाते !'

Rakesh Tewari 03.11.2019

'काश: मशगूल रह पाते !'

अपने अपने हिस्से की
तवारीख तलाशते,
दुनिया जहाँ में,

अफ्रीकी खित्तों सेद्वीपोंमहाद्वीपों के,कोने अतरों तक,हिज्जे हिज्जे में बँटने कीजद्दोजहद में।

अपनी अपनी
अलग पहचान बनाने की
बेमशरफ़ कोशिश में
खानदानी, मज़हबी,
भाषा-बोली,
तहज़ीबी 'पावर ज़ोन;
बनाने की
मृग मरीचिका में।

ज़ाहिरन,
जाने-अनजाने
फंस जाते हैं,
फ़र्ज़ी फ़सानों के
नारों वाली
फसादी फेहरिस्तों,
नामालूम सी
तदबीरों तकरीरों में।

इन्हीं फितरतों का
फायदा उठा कर,
बहका कर,
लोग जुट जाते हैं
बेजा ताकत बटोरने,
अपने ही कुल, कुनबे,
मुल्क पर
हुकूमत करने में।

आखिरकार,
हासिल नहीं होता
कुछ भी, सिवा
आपसी सिर फुटौवल
मारा मारी, जंग और
घुप्प अंधी गली में
धंसते हुए,
गुम हो जाने के।

काश !
हम पहुँच पाते उन,
मुकामों तक,
बेहतर रास्तो और
उसूलों के दम पर
कुदरती दस्तूर पर,
मशगूल रह पाते,
आपसदारी की बरकरारी में।
-------

कहाँ छुपातीं हैं !!!

Published by Rakesh Tewari
· July 4 2019 

कहाँ छुपातीं हैं !!!

घिसी पुरानी
पगियों पर
पगध्वनियाँ
सून पड़ती हैं ।
सजे संजोए
ताखों पर
छवियाँ उनकी
दिख जाती हैँ ।

ढेरों खुशियां,
मस्त-मस्तियाँ,
कितनी सुधियाँ,
भरी झोलियाँ,
पलट-पलट,
सिहराती आतीं,
आतुर लालायित,
कर जातीं हैं।

बीती बतियाँ,
गली, मोहाल,
दरवाज़ों की,
धुंधली तख्ती,
नाना नानी,
बाबू अम्मा,
कितनी बातें,
फिर फिर आतीं हैं।

पीली पड़ती
फोटो वाली,
छवियाँ धुंधली,
बंद झरोखों से,
आ आ कर,
झांका करतीं,
मन ही मन,
टहला करतीं हैं।

संगी साथी,
रिश्तेदारी
शहर वही,
वही, कालोनी,
चहकन टहकन,
तोतों वाली,
बालकनी में,
दिखती हैं।

पोर्टिको के
झूले पर,
पेंगों वारी,
बगिया प्यारी,
तलवों में ज्यों
दूब सुहाती,
अनायास,
आ जाती है।

क्या क्या, कितनी
जीवन-थाती,
लुकाछिपी
आती जाती,
बहुत कहीं,
कुछ नहीं कहातीं,
पर, छज्जों पर,
कहाँ छुपातीं हैं !!!


-----------

  • Rachana Misra सचमुच.
    1
  • Gurucharan Singh Sabharwal Purani yaden taja hone ka adbhut chitran
    1
  • Ravi Tiwari khush raho
    1
  • Prem Chand Pandey अतीत की मधुर स्मृतियों का भावपूर्ण चित्रण
    1
  • Ramakant Singh पूरी कहानी कह दी आपने जीवन की
    सादर प्रणाम
    1
  • Subhash Tripathi बहुत प्यारी तस्वीर तरुणाई की💐💐कविता तो नॉस्टेल्जिया के पुराने महुए से टपकता महुआ जैसा 💜😍मादक या मानो अतीत के मधुवन से झरती रातरानी!😘🌸💐
    1
  • A Arsh अतिसुन्दर
    1
  • OM Dutt Shukla वाह सर, लाजवाब।
    1
  • Dinesh Kandpal भावपूर्ण सहजता
    1
  • Suresh Pandey बहुत बढ़िया सर
    यादें ताजा हो जाती हैं
    कभी किसी चित्र देख
    See More
    1
  • Neetu Tiwari वाह 🙏
    1
  • Sheela Roy Bahut acchi lagi Kavita ,
    Bahut dino bad padhi thanks Rakesh Bhai.
    1
  • Balram Yadav सुंदर सर
    1
  • Ramsewak Kailkhuri Atuttam sir. Sadar prnam
    1
  • Indu Prakash बहुत सुंदर
    1
  • Surender Kumar Atri अति सुन्दर सर
    1
  • Anita Misra Very nice
    1
  • Asim Chandel स्मृति की पगडंडियों में चलते हुए कौंध-कौंध जाती है वह अमिट छवियाँ जो हमें एहसास कराती हैं, इस सफर में तय किये गये उम्र के पड़ावों का.
    1
  • Susmita Pande Universal experience expressed beautifully.
    1
  • Kailash Parashar Very nice
    1
  • Sujeet Nayan Charan sparsh Sir🙏🙏
    1



-----

Image may contain: 1 person, smiling, stripes, closeup, outdoor and water