Saturday, April 29, 2017

जियरा जुड़ाय

जियरा जुड़ाय

१. 
लहका लगा के कहवां गइलें हो लुकाय,
हेरि हेरि हेरैं हरी कतौं न लखांय।  

२. 
चिरइयन क चुनमुन, बिहाने न भाय, 
ओ गाछे पै कूजन, न संझवै सुहाय।  

३. 
उचरल ह हियरा, न कइस्यउ थिराय, 
समझि नहीं आवत अ, कवनो उपाय।  

४. 
दिनवा बिसरि के, सकारे में आय, 
गोरु गोधुरिया में जस गोठियाय।  

५. 
हारी ह बेमारी ओ न हलवै बताय, 
सोच-सोच उंच-नीच धीरज ओराय।  

६. 
चिठिया न पतिया संदेशवौ न आय,   
जल बिन मीन अस बिरवा झुराय। 

७. 
भूल-भाल आवैं हरी झलकी देखांय,  
थोरकै अनन्द पाए, जियरा जुड़ाय।  

-------

Monday, April 24, 2017

बहु बहु बिम्ब बनाईं

बहु बहु बिम्ब बनाईं
मारग कठिन चलैं बहुताई,
धूर पंकमय स्वेद बहाई।
वै प्रकटे इक वीथी आई, 
झाँकि-ताकि लागे पिछुआई।।
घेरि घेरि फिर राह छेंकाई,
ठहि ठहि ठहरि हीय अकुलाई।
पइठे जस मोहन मधुराई,
कुतरैं उर चित-चोर के नाईं।।
आहट पाय आस हलकाई,
लहकि लपकि पट खोलहिं जाई।
हरसैं हरष सन्देसा पाई,
जस बगिया में फूल खिलाई।।
शीतल मन्द वात लहराई,
बरखा मनो पहिल फुहराई।
जस मयूर नाचै अमराई,
नव पल्लव तरुवन अंकुराई।।
मम गोपन जानै कोइ कोई,
कटु-मीठो रस भावै सोई।
मूंदे पलक परम सुख पाईं
मोदित मन मंगल धुन गाईं।।
लखि पाती समझे सहजाई,
जेहि बिधि वै संदेस पठाई,
आखर भखैं अंजोर मति होई,
तीख बुद्धि संदीपन सोई।।
चाहत चित अधिकै अधिकाई
होइहैं कस यहु मरम बझाई।
लहि-लहि यहु लालसा लसाई,
केहु बिधि छवि अवलोकैं ताईं।।
सांवर, गोर, कितौ कंचनाई,
कौन बरन मनभावन होई।
सम सुतार सुन्दर सुघराई,
थूल कृशी, कस काया पाई।।
बिन देखे बोले बतियाए, उन्ह अस लगन लगाई।
अंग-अंग मुख नैन अभासी, बहु बहु बिम्ब बनाई।।
-----------

Wednesday, April 19, 2017

तुनुन तुनुन तुन गाए।

तुनुन तुनुन तुन गाए। 

१.
छुईमुई अस तन-मन पाए,
तनिकै में कुम्हलाए,
इकतारे जस अंगुरी परसे,
तुनुन तुनुन तुन गाए,
सा-s-धो !!! तुनुन तुनुन तुन गाए।
२.
एक परग पुरसा भर डूबे,
दूजा, झूरे पर तड़फाए,
 आस निराशा उरझे सुरझे,
कइसा खेल खेलाए,
सा-s-धो !!! तुनुन तुनुन तुन गाए।
३.
इक पल लागे दुनिया जीते,
दूजे, हिया बुझाए,
धूप छाँव अस आवै जावै,
लागै सब भरमाए,
सा-s-धो !!! तुनुन तुनुन तुन गाए।
४.
नाता नाज़ुक या जग पाए,
कइसे धरम निभाएं,
मन आए की कही न जाए,
तर उप्पर उतराए,
सा-s-धो !!! तुनुन तुनुन तुन गाए।
५.
लाज लगे अस हाथ बढ़ाए,
 डर डर कदम धराए,
 सूख पात जस चिनगी चटकै,
चिन्ता अगिन बराए,
सा-s-धो !!! तुनुन तुनुन तुन गाए।
६.
सपन लोक सोवत में जागे,
जागत सपन देखाए,
मति नहिं मोरी चतुर-सुजाने,
छन छन पलक मुंदाए,
 सा-s-धो !!! तुनुन तुनुन तुन गाए।
७ .
राह परे मिलते गए,
नैनन नेह गढ़ाए,
कसक छोड़ छूटा किए,
दो-मुहान पर आय,
 सा-s-धो !!! तुनुन तुनुन तुन गाए।
८.
आए मिले मिल लगन रचाए,
आगे गए बिलगाए,
मधुर महक बगिया की लाए,
साँसनि भरि गमकाए,
साधो !!! तुनुन तुनुन तुन गाए ।
९.
धीरज धरम हाथ नहिं आए,
डोलत तुला तोलाए,
ज़िम्मेवारी निशि-दिन बाढ़ै,
पल पल पर गरुआए,
सा-s-धो !!! तुनुन तुनुन तुन गाए।
१० .
धीरे धीरे गुरिया डोले,
सीता-राम जपाए,
धीरे धीरे तन ढल जाए,
मनवा गगन उड़ाए,
सा-s-धो !!! तुनुन तुनुन तुन गाए।
११.
जो बीते सो बीत गए,
सुधियन पइठे जाए,
गठियाए गठरी लिए,
बकिया जिए अघाए ,
साधो !!! तुनुन तुनुन तुन गाए।
---------
LikeShow more reactions
Commen

Saturday, April 8, 2017

-- सूफियाना क्या ???

--- सूफियाना क्या ???
१.
इसी धरती पे जनमे हैं,
कि आदमजात खालिस हम, 
कि जीते हैं ज़माने में,
कि हमसे फकीराना क्या।

२. बसे हैं अपनी मढिया में,
बजाते बेसुरा भी हम,
न पाप-ओ-पुण्य देखे हैं, 
कि हमसे रहीमाना क्या।

३. गिरे तो रो के उठते हैं,
ख़ुशी में खिलखिलाते हम,
बने हैं हांड़ माटी के, 
कि हमसे कबीराना क्या।

४. न गफलत में कभी रहते, 

कि हमसे मसीहाना क्या, 
नहीं बाना धरा गेरुआ,
कि हमसे जोगियाना क्या।


५. रपटते फिर रहे पनही, 
बजाते चाकरी हैं हम,
पहनते मोह का चोला, 
कि हमसे रामनामा क्या।  

६. जरा सा गौर से देखो,
असल क्या अक्स रखते हम,
कि रागो-ओ-रंज में रमते,
कि हमसे मलंगाना क्या।  

७, जिलाए आग जीते हैं, 
कि फिर धूनी रमाना क्या,
कि बहते चल रहे हैं हम,
कि हमसे फक्कड़ाना क्या। 

८. जिधर देखा उधर लहके,
बहकते चल रहे हैं हम,
तनिक रहते सलीके से,
कि हमसे शरीफाना क्या।  

९. न समझो हमको बैरागी,
सरासर दुनिया वाले हम,
नशे-मन हम तो रहते हैं, 
कि हमसे सूफियाना क्या।  

---------

Monday, April 3, 2017

चलती है ज़िन्दगी


चलती है ज़िन्दगी 

अब क्या मिले हो यार, 
डगर ही सिमट रही।  

क्या गुफ़्तुगू करेंगे अब,
अलाव बुझ चली।  

हैं काफिले अब भी, मगर, 
वो बानगी नहीं।  

उड़ने को उड़ रहे, मगर, 
डैनों में ख़म नहीं।

ता-ज़िन्दगी ढूंढा, मगर  
वो नज़र आया नहीं।  

क्या करोगे जान कर, 
उनका पता नहीं।

हो तुम बहुत प्यारे, मगर
वो हमसफ़र नहीं। 

क्या सुनाएं दिल-लगी,
अब तो चला-चली।  

फिर भी चलो, जिस मोड़ तक,
चलती है ज़िन्दगी।  

.............