Monday, December 11, 2017

लास अशेष


सांझ भई, 
सूरज अस्ताचल,
चला आपने देश।  
काजल बिंदिया, 
लाज ललाई,  
छोड़ आपने वेश।
सांकल बाजी, 
खुली अर्गला, 
आवन लगे सन्देश।  
रैन घिरी,  
करिया रही, 
तबहुँ लास अशेष।

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