Tuesday, November 24, 2020

पुरखों की भूम

पुरखों की भूमि 

 जल ही जल औ कीच मोरे रामा ! 
चारियुं लंग फूलल हौ काँस मोरे रामा ! 
 चन्दा चढ़ल बा अकाश मोरे रामा ! 

 जहां ले निगाह जाए हरियर लखात बा 
 सरपत बुड़ाव बँसवारी मोरे रामा ! 
 चन्दा चढ़ल बा अकाश मोरे रामा ! 

 सरजू कै धारा ओ करार मोरे रामा! 
 तूरत चलत ह अरार मोरे रामा! 
 चन्दा चढ़ल बा अकाश मोरे रामा! 

 बीच में दियारा ओ धारा में नइया 
 गोरु ओ गोरुआर देखा गौंवा में रामा! 
 चन्दा चढ़ल बा अकाश मोरे रामा! 

 घुटना ले धोती बांधे गोजी वाले भईया 
 गज भर छाती सोहे कैसन मोरे रामा! 
 चन्दा चढ़ल बा अकाश मोरे रामा ! 

 एहीं एक डीह रहल सरजू किनारे 
 कहैं लोगन कटि कै कगार बहल रामा! 
 चन्दा चढ़ल बा अकाश मोरे रामा ! 

 एक ओर सरजू के साथ साथ चलत रहलन 
 पढे लिखे जात रहे इहाँ से अजुधिया 
 चन्दा चढ़ल बा अकाश मोरे रामा !

 यहीं कहीं रहल होइहन पुरखा हमार हो 
 दूनो हाथ जोड़ परनाम करों रामा ! 
 चन्दा चढ़ल बा अकाश मोरे रामा !!

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