Wednesday, November 20, 2019

' अनजान मत बनिए !!'

' अनजान मत बनिए !!'
18.11.2019

क्या ऐसा हो गया, बतला !
कि यूँ मायूस क्यों हुए !!

छुपा रहे हैं आप जो !
कहे बिना भी ना छुपे !!

रहे चुपचाप ओ गुमसुम !
कि खामोशी बहुत बोले !!

ये मंज़िल है नहीं तेरी !
नहीं ठहरें चले चलिए !!

कि लम्बी हैं बहुत राहें !
यूँ आहत हो नहीं रुकते !!

ठिकाने मिल ही जाएंगे !
भरोसा आप पे रखिए !!

बहुत है कीमती हर पल !
कि रसिए डूब कर रमिए! !!

कि सुन कर टेर ये जगिए !
कि यूँ अनजान मत बनिए !!
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