'झिरिर झिरिर झिरियाय --- '
आय अंजुरी में कोरी, बरस गयो रे !
आय सावन में झुलना, झुलाय गयो रे !!!
आय सावन में झुलना, झुलाय गयो रे !!!
भोली सूरत पे ऐसो रिझाय गयो रे !!
भीगी अलकन में ऐसो, भिजाय गयो रे !!
आय सावन में झुलना, झुलाय गयो रे !!!
मुंदी पलकन में ऐसो समाय गयो रे !!
आय बुँदियन से ऐसो सजाय गयो रे !!
आय सावन में झुलना, झुलाय गयो रे !!!
मोती मोतियन की ऐसो गुंथाय गयो रे !
आय सुध बुध सगरो भुलाय गयो रे !!
आय सावन में झुलना, झुलाय गयो रे !!!
गात कोमल ओ आनन जुड़ाय गयो रे !
आय अंतर-मन माधुरी घोराय गयो रे !
आय सावन में झुलना, झुलाय गयो रे !!!
आ अटरिया पे जियरा लुभाय गयो रे !
आय कानन में रिमझिम गवाय गयो रे !
आय सावन में झुलना, झुलाय गयो रे !!!
आय बरखा में फुहरा हनाय गयो रे !
आय दुअरा पे रहिया छेंकाय गयो रे !
आय सावन में झुलना, झुलाय गयो रे !!!
आय हरित बसन में सुहाय गयो रे !
आय झिरिर झिरिर झिरियाय गयो रे!!
आय सावन में झुलना, झुलाय गयो रे !!!
आय झिरिर झिरिर झिरियाय गयो रे!!
आय सावन में झुलना, झुलाय गयो रे !!!
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इस रचना पर पसन्दगी जताने, दिल लुटाने और इसकी सराहना करने वालों को हार्दिक धन्यवाद; इसे जन्मने वाली धरित्री, ऋतू, मोहक सौंदर्य और भावों को सादर, सस्नेह प्रणाम !! 😀🙏🙏♥️♥️🙏🙏
इस रचना पर पसन्दगी जताने, दिल लुटाने और इसकी सराहना करने वालों को हार्दिक धन्यवाद; इसे जन्मने वाली धरित्री, ऋतू, मोहक सौंदर्य और भावों को सादर, सस्नेह प्रणाम !! 😀🙏🙏♥️♥️🙏🙏
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