Thursday, December 19, 2019

'भकुआ अस ताकैं'

'भकुआ अस ताकैं '  

कबौ बात आज़ादी की, 
कबौ गरीबी का नारा,
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई 
बने किन्हीं कै हरकारा। 

चौकी चढ़ि-चढ़ि चली चौकड़ी 
कबौ फकीरी का नारा,
जनता आवत है भागौ अब,  
पूरन इंकलाब आवा।  

फतवा ज़ारी होय रहा है,
तालिबान आवै वाला, 
सारी दुनिया सर कइकै,
'आज़ादी' लावै वाला।  

कबौ किसानन की बातैं, 
औ कबौ रामनामी वाला,
कदाचार मा आग लगावैं 
रामराज आवै वाला।  

भकुआ अस हमहू ताकैं, 
जस देखैं  वैसै भाखैं, 
सूधयो थ्वारा सजग रहैं 
सूधे का मुंह कुत्ता चाटै !  

न यै सीधे ना वै सीधे, 
दुइ पाटन बीच पिसैं सूधै।    

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