Saturday, February 2, 2019

बान निराले

बान निराले 

कवन अवनि कस कूल किनारे !
अलक झलकि अस मुग्ध निहारे !! 

मन मोहै तन सुघर रिझावै !
झिलमिल झिलमिल, बहुरि लुभावै !! 

नील गगन तल नीलहि उतरै,
नील धार धरि गहिरे ठरकै !! 

बसन अरुण पट पीत सुहावै !
आये वसन्त लै बान निराले !! 

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