Tuesday, February 6, 2018

'स्वारह आना'

Rakesh Tewari
8 hrs
'स्वारह आना'
भइया हम सब पढ़ा पहाड़ा,
उचक उचक कै रट्टा मारा।
दो के दो, दो दुन्ना चारा,
दुइ के तीन पे छक्का मारा।
भइया हम सब पढ़ा पहाड़ा।
भइया हम सब पढ़ा पहाड़ा।
पटिया घिसि घिसि घोट्टा मारा।
दुहरि तिहरि कै, चौका अट्ठा
पंजे दस्सा, छक्के बारा।
भइया हम सब पढ़ा पहाड़ा।
भइया हम सब पढ़ा पहाड़ा।
भईस बिदकि गई, पड़वा भागा,
तीन तिरिक्का, नउआ ब्वाला ,
मुंशी जी का फटा सुथन्ना।
भइया हम सब पढ़ा पहाड़ा।
भइया हम सब पढ़ा पहाड़ा।
खेल खेल सब सीख पहाड़ा,
जो तनिकौ भर भूल पहाड़ा
पण्डित जी दुइ-हथ्था मारा,
भइया हम सब पढ़ा पहाड़ा।
भइया हम सब पढ़ा पहाड़ा।
लेकिन कैसा भवा ज़माना,
रटा घोटावा काम न आवा,
बहुत जटिल भा आजु पहाड़ा।
भइया अब कस पढ़ैं पहाड़ा।
आजु पढ़ावैं ऐसि पहाड़ा।
दो के दो अब होंय अधन्ना,
बाँचौ सहियै बनौ तमाशा।
पाठु पढ़ावै ऐंचहु ताना।
भइया अब कस पढ़ैं पहाड़ा।
आजु पढ़ावैं ऐसि पहाड़ा,
तीन तिरिक्का तेरह आना,
सीख सखरि लो ऐसि पहाड़ा,
भन्न ते भाँजौ छक्का पंजा।
भइया अब कस पढ़ैं पहाड़ा।
आजु पढ़ावैं ऐसि पहाड़ा।
तीन पांच भा पनरह आना,
अबरा रवावै भूलि पहाड़ा,
जस चाहै तस पढ़ै पहाड़ा।
भइया अब कस पढ़ैं पहाड़ा।
आजु पढ़ावैं ऐसि पहाड़ा।
पगहा तूरौ पढ़ौ पहाड़ा,
हालत ड्वालत नवा पहाड़ा,
'सरकसु' पढ़ै सो स्वारह आना।
भइया अब कस पढ़ैं पहाड़ा!!!!
---

No comments:

Post a Comment