Tuesday, October 10, 2017

मलय देश में (1):

Published by Rakesh TewariAugust 16
मलय देश में (1):
सेलामत देतांग (Selamat Detang: Welcome)
प्लाज़ा नामक आवासीय इमारत के उन्नीसवें माले के शयन-कक्ष के सामने ही दिख रहा है कुआला लम्पुर के घने हरियाले भू-भाग के आगे की पहाड़ियों से ऊपर उठती बहुमंजिली इमारतों के बीच गगनचुम्बी 421 मीटर ऊँची मीनार। दुनिया भर में बनी ऊंची मीनारों में ऊपर से सातवें पायदान पर आने वाली इस मीनार को मलय लोग इसे मीनार-कुआला लम्पुर और अंग्रेजी में केएल टॉवर पुकारते हैं। और उसके बगल में खड़े हैं दो बुलन्द 'हीरक पेट्रोनास टावर्' (Twin Jewels of Kuala Lumpur)। नीचे दिखता है वाटर ट्रीटमेंट प्लान्ट, पार्क और गोल्फ कोर्स, और बाएं बगल कुछ दूर पर बहुमंजिली इमारतों के जंगल में प्रवेश करती वलयाकार घूमती मेट्रो लाइन पर थोड़ी थोड़ी देर में आती जाती मेट्रो।
नीचे उतर कर आस-पास का चक्कर लगाने पर लकालक्क चौड़ी सड़कों पर ट्रैफिक के नियमों को मानती दौड़ती कोरिया-जापान की बनी चमाचम्म गाड़ियां लेकिन तनिक सा चूके नहीं कि किसी भी ओर से सनसनाती-भन्नाती हुई बेफिक्री से आती दोपहिया सवारियों से टकराने से बचने की फिक्र करना ज़रूरी वरना तो फिर सावधानी हटी और दुर्घटना घटी। आस पास के बाज़ारों में मॉल, हर माल मिलेगा एक जगह वाली दुकानें और विएतनाम, लेबनान, हिंदी, चीनी व दूसरे मुल्कों के रेस्टोरेंट । दिन दूना रात चौगुना बढ़ती आदमी की आबादी के मद्दे नज़र सीमित जगह में ज्यादा से ज्यादा लोगों को आवासीय, व्यवसायिक और दूसरी ज़रूरतें पूरी कराने के लिए पश्चिमी दुनिया से चली नए चलन वाली नगरीय बसावट और आर्कीटेक्चर के लिहाज़ से एक खूबसूरत आधुनिक शहर।
लेकिन, क्या बताएँ, तकरीबन अक्खा दुनिया में यूरोप-अमरीका से एशिया के तमाम देशों के बड़े-बड़े शहरों में दीखते विकास के इन मानकों के बीच अपुन का खाँटी देशी मन कुछ और ही तलाशता खो सा जाता है। यहाँ भी वही हुआ, इस सबके बीच तरसने लगा 'मलय देश' की अपनी बानगी देखने को, मगर यह मुराद कम से कम शहर के इस खित्ते में तो पूरी नहीं हो सकी।
बहुत मुश्किल से दिखी भी तो कहीं- कहीं मुल्क की तहज़ीब की लाज रखती मोहतरमाओं के लिबास में दिखी, मगर वह भी आजकल की दिल्ली में भारत की संस्कृति का पल्लू थामे चलने वाली साड़ी, सलवार-कमीज या लहंगे में सजी महिलाओं की तादाद से भी कम। अंग्रेजी हुकूमत के जाने के बाद भी यहां अंग्रेज़ी भाषा में लिखे साइन बोर्ड और यहाँ की भाषा को लिखने के लिए अपनायी गयी रोमन लिपि आज भी यहाँ अंग्रेजी परचम फहरा रहे हैं। उनके पहले से यहां बोली जा रही भाषा का तनिक सा ज़ायका पाने की ख्वाहिश एक दूकान पर लिखे Selamat Detang: Welcome और एक रेस्टोरेंट के नाम Keyra (नारियल) पढ़ कर ही पूरी करनी पड़ी।
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