Saturday, April 29, 2017

जियरा जुड़ाय

जियरा जुड़ाय

१. 
लहका लगा के कहवां गइलें हो लुकाय,
हेरि हेरि हेरैं हरी कतौं न लखांय।  

२. 
चिरइयन क चुनमुन, बिहाने न भाय, 
ओ गाछे पै कूजन, न संझवै सुहाय।  

३. 
उचरल ह हियरा, न कइस्यउ थिराय, 
समझि नहीं आवत अ, कवनो उपाय।  

४. 
दिनवा बिसरि के, सकारे में आय, 
गोरु गोधुरिया में जस गोठियाय।  

५. 
हारी ह बेमारी ओ न हलवै बताय, 
सोच-सोच उंच-नीच धीरज ओराय।  

६. 
चिठिया न पतिया संदेशवौ न आय,   
जल बिन मीन अस बिरवा झुराय। 

७. 
भूल-भाल आवैं हरी झलकी देखांय,  
थोरकै अनन्द पाए, जियरा जुड़ाय।  

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