Friday, November 28, 2014

'ईबोला'

१. 
अफवाहों के पंछी कैसे पल-पल में उड़ते रहते,
जो पाया वो उड़ा दिया जो उड़ते ही उड़ते रहते।   

२. 
बहुरुपिया क्या रूप धरे, जस रूप छनन धरते रहते, 
गिरगिट बस बदनाम लगें , ये ऐसो रंग धरा करते।  

3.
जितनी उनकी धरा उर्वरा, उतनी फसल उगा लेते, 
खलिहान तलक आने से पहले सारे बीज उड़ा देते।  

4.
पके बिनौले सेमल वाले झर झर कर उड़ते रहते,  
रुइया गोले के भीतर भी काले बीज दिखा करते।  

5. 
अफवाहों का चना चबैना, चहुँ पल पगुराते रहते, 
ओढ़ बिछा कर उसके अंदर अपनै घुघुआते रहते।  

6. 
बसैं बहादुर बहु आबादी, बज बज बज करते रहते,
बस्ती बस्ती यहै मुनादी, रोज़-रोज़ बजवा करते।        

७. 
मुलुक भरे मां फ़ैल 'ईबोला' जहां तहाँ तिरते रहते, 
जाबा बाँधौ झक्क सफेदी, अनु कन अस फैला करते।    

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