Monday, November 4, 2013

बरम बान अस खूंटी दीख

बरम बान अस खूंटी दीख

१.
कांकर पाथर हेरत भाय, जीवन बेरथ गइल बिताय,
इहाँ सबै सब हौ निःसार, 'माया' सांचौ अपरम्पार।

२.
विश्व ख्याति कै लम्बरदार, मिश्रा-वर्मा-लाल सुजान,
साधे केतनौ तीर कमान, धान पसेरी तुले तमान।  

३.
बीछी काटी, मंतर भूल, निकसे फणधर कारे कूट, 
काँटा, कोना, दमदम कीच, कहाँ परे ना कोऊ पूछ।

४.
खोज डीह सब डेरा डाल, खंती खंती खने खदान,
धोलावीरा, दैमाबाद, कोलडिहवा कै कवन बिसात।

५.
बडियार बड़ा सब डीहन बीच, रामदरश कै सपना दीख,
बढ़ा बवंडर चारिहु ओर, गलियारन मा भारी सोर।

६.
सोना-सोना-सोना दीख, दाबा धरती सोना दीख,  
बाजै 'खेडा' गंगा तीर, देश भरे मा डुग्गी पीट।

७.
बड़े बड़े चैनल पे दीख, चला सीरिअल पल-पल दीख,
मेला लागा, नाच नवीस, खंडहर उप्पर धर दुरबीन।

८.
चढी कडाही ख्यातन बीच, फरफर मोछा, बैसन वीर,
सत्तावन की ऎसी पीर, सबहि धरे जस चोला कीर।

९.
ओ.वी. वैन, सफारी तीन, जेहिका द्याखौ वहु तल्लीन,
मुरदौ जागि करैं तफ्तीश, आपहि बनि गे न्यायाधीश।

१०.
बैठि झरोखे हमहू दीख, दांत निपोरे काढें खीस,
फरसा तसला कुद्ली दीख, बरम बान अस खूंटी दीख।

११.
जस-जस बाढ़े राम कहानी, निकसें पुरवा चूल्हा कील,
सुन लो ये अरदास हमारी, जनम न पाएं ऐसन दीन।  

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