Sunday, June 2, 2013

शीतौ लागै तत्ता

शीतौ लागै तत्ता


कैसी धूम मचाए दुआरे, लेते दौड़ बलैया,
नंबर दो में पास हो गए, लहरा मारें बबुआ। 

पइसा फेंक, तमाशा देखैं, डारे कंध दुशाला, 
धरम छोड़ सब पत्तल चाटें, गाँव घरे के कुत्ता। 

लाज नहीं, कछु नीति नहीं, आँखिन काला कजरा,
घर फूंकै, अरु देश जराई, ता पर खींस निपोरा। 

ज्ञान न देखैं, ना सधुआइ, हरियर द्याखैं पत्ता,
फर्शी मारैं कइस सलामी, देखत लकदक लत्ता। 

सुमिर राम अवगुन धरें, चित्त चले अलबत्ता,
गंग अबै दूषित बहै, दिल्ली-काशी-कलकत्ता। 

काम न आपन जोई करैं, औरन परसें धत्ता,
सांसत परे बिसुरत घूमें, पग-पग खावैं धक्का।  

जैसा बोए तैसै काटें, का हो बाबू कक्का ? 
काँटा गझिन राह में रूंधे, सोहै कहाँ गलैचा ? 

देश बचाओ, धरम बचाओ, चोर भगाओ रट्टा,
लगा मुखौटा चोरै बोलै, शीतौ लागै तत्ता।

धूर उडाए भसम रमाए, तारी मार पटक्का,
महाकाल तांडव पर उतरे, गूंज उठाए ठट्ठा। 
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