Friday, February 15, 2013

ऋतुराजहि आए


1
नरम तपिश लै शीत जुडाए, तरल पवन तन-मन सोह्रराए, 
पीत वसन भू पर लहराए, परग-परग ऋतुराजहि आए। 

2
सकल जगत नवजीवन लाए, अंकवारी भरि-भरि दुलराए, 
कुंद खिले, वन लतर जगाए, मनभावन ऋतुराजहि आए। 

3
उमगन लाए, आस लगाए, उर सनेहरस भाव समाए, 
अंग-राग लपटावत आए, संग अनंग ऋतुराजहि आए। 

4
रंग हरदी पट प्यारे न्यारे, सहजै सुलभ सुरसुती आए, 
गूंगौ गुनगुन गीत गवाए, घर आँगन ऋतुराजहि आए। 

5
रूख्यौ ह्रदय कवित रचवाए,बाग-बगीचा बहु गमकाए, 
प्रीति-पिटारा माथ धराए, लै पराग ऋतुराजहि आए।  

6
चिरई चुनमुन चिंहुकत आए, खंजन कस नैना कजराए,
झुरमुट पातिन में चह्काए, मदमाते ऋतुराजहि आए। 

7
सुधि बिसरी सो बहुरि कुरेदे, भूली राह वही लह्काए,  
दबी राख जो आंच जलाए, अगियारे ऋतुराजहि आए। 

8
लत्ता गरम अटारी छाए, गाँव गली में रंग उडाए,  
कुहू कुहू कोयलिया गाए, सजे धजे ऋतुराजहि आए।  

9
महुआ मधु-गगरी भर लाए, लटकि मंजरी रस टपकाए, 
भीनी झीनी हवा बहाए , बहकत पग ऋतुराजहि आए। 

10 
सरपत कुञ्ज सुरसुरी व्यापे, दबे पाँव दुई प्राणि लुकाए,  
प्रणयीजन व्याकुल भरमाए, कुसुमाकर ऋतुराजहि आए। 

11
जहां तहां उत्सव सजवाए, संगम तीरे कलप बिताए,
वासंती पंचमी नहाए, परब लिए ऋतुराजहि आए।   

12  
वनमाला आवक्ष सजाए, पीताम्बर अनिरुद्ध धराए, 
पुष्पबाण हिय हिय संधाए, इक्षु धरे ऋतुराजहि आए। 

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