Wednesday, March 28, 2012

आज मसला गरम है


आज मसला गरम है
राकेश तिवारी

आज मसला गरम है, सड़कों पे है, संसद में है,
घर-गली, दफ्तर में है, गाँव में, आँगन में है.

मुल्क में है हर मरज़, हर आदमी लाचार है,
डाक्टर-ओझा है, नुस्खा हैमगर बेकार है.

कोई कहता है, व्यवस्था है नहीं, व्यापार है,
कोई कहता है, ये कहना भी, बड़ा अपराध है.

कोई कहता है कि दामन साफ़ है, शफ्फाफ़ है,
शालीन है, देवात्म है, धूनी में साधूराम है.

कोई  करता ‘भूलहै, तो हर तरफ से घात है,
कोई करता 'राज' है, सम्मान है, अभिमान है.


आज का मसला बड़ा संगीन है
सड़ता हुआ थिर, 
कीच है.
किस कदर फैला हुआ,
मंदिर में है, मंदर में है.
सब कहींसब ओर है,

नहीं अब सबर दिखता है, नहीं कुछ सुन ही पड़ता है,
अन्धेरा ऐसा छाया है, नहीं कुछ दिख ही पड़ता है.

हमें अब कुछ तो करना है, सभी को साथ रखना है,
कहीं कुछ हो भी सकता है, यही संवाद रखना है.

अरे, ईमान से कोशिश में क्या सामान लगता है,
ज़मी पर, बस यही इक रास्ता, आसान लगता है.

करो कोशिश कि, जितना हो सके, इंसान बनना है,
बनना है हमें ऊंचा, नहीं हैवान बनना है.

चादर साफ़ रखना है,  दाग--दार करना है.
यही है हाथ में अपने, इरादा पाक रखना है.

दिवस्  होता नहीं पूरा, पूरी रात होती है,
मिला कर साथ दोनों को, ये पूरी आप होती है.

बराती हमको बनना है, हमारा दूल्हा जोगी है,
धतूरा है, ये भृंगी है, मसानी शिव की टोली है.

निषेधों से  नन्दी-नाग सधता है, नचता है,
इन्हें साधो, जरा समझो, यहाँ शिव नाद करता है.
--------
28.03.12

No comments:

Post a Comment