Thursday, March 30, 2017

क्या करें

क्या करें
१.
अपना-पराया ना दिखे, वो क्या करें,
हैं इस कदर बहके हुए,वो क्या करें।
२.
दहलीज़ पर काई बहुत, वो क्या करें,
राह है फिसलन भरी, वो क्या करें
३.
है समन्दर सामने, वो क्या करें,
आ कर किनारे डूबते, वो क्या करें।
४.
उनको पुकारा तो बहुत, वो क्या करें,
लहरों में हैं सुनते नहीं, वो क्या करें।
५.
होश खोया जोश फिर, वो क्या करें,
अच्छा-बुरा समझें नहीं, वो क्या करें।
६.
आग तो है आग फिर, वो क्या करें,
तापते हैं 'और' फिर, वो क्या करें।
७.
हैं सयाने ही सभी, वो क्या करें,
तीर टिप्पस साधते, वो क्या करें।
८.
दिल की दिल ही में रहे, वो क्या करें,
लोग सम्मोहन में हैं, वो क्या करें।
९.
लौ पर पतंगे डोलते, वो क्या करें,
है नियति ऐसी अगर, वो क्या करें।
१०.
साथ संग ऐसा किया, वो क्या करें,
सेंध तो लगनी ही है, वो क्या करें।
११.
दिन में दिन दिखता नहीं, वो क्या करें,
 इतनी अधीरी आस है, वो क्या करें।
१२.
बस खैर उनकी मांगते, वो क्या करें,
अल्लाह तो वो हैं नहीं, वो क्या करें।
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