Monday, May 13, 2013

ठहरा है कारवां



ठहरा है कारवां


आओ ज़रा, थम लें यहाँ, कैसी बहे हवा, 
आया नया, मुकाम अब, ठहरा है कारवां। 

सूखा हुआ, मरू सामने, चश्मा मिला नया, 
कीकड़ का घेर ही सही, नम है यहाँ धरा।  

ढल चली है सांझ पर वितान सज गया,
खामोश आके गुफ्तुगू की बात कह गया।  

मंजिल अभी तो दूर, इक पड़ाव मिल गया,
काली सियाही रात में, अलाव जल गया। 

तारों का जाल सज गया, धुंधला सा आसमाँ,
सपनों की खेप चल पड़ी, होगा सुबह को क्या ?   

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