Explorer's Blog
Saturday, December 24, 2022
छप गया
१.
कल शहर में फिर कहीं, जलसा मज़े का हो गया,
तहज़ीब-ओ-अहले-इलम, मौसम बमौज़ू हो गया।
२.
अल सुबह बागों में वो, सड़कों पे फेरा लग गया,
एक कुनबा गश्त पर निकला, तकाज़ा हो गया।
३.
वो कहानी, सुन, परीखाने में जा कर सो गया,
देख सुन हमने लिया, फिर वो तमाशा हो गया।
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