Saturday, November 29, 2025

ये एहसास भी कितना तसल्ली-बख्श होता है,

हमारे शहर से बहकर तेरा बेड़ा गुज़रता है।  

27 Nov 2025

Sunday, November 23, 2025

 गुन रहे : 1973-2025

जितना दिखता बाहर,
उससे ज्यादा भीतर,
घमेरे मनोवेग से,
कौन कौन से !!
कब, कहां, कैसे !!
सघन हिमवत,
अवरुद्ध,
अचानक द्रवित स्रवित !!
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14.11.2025

Saturday, November 1, 2025

 'बिधना गढ़ाए !!!'


तीन से तेरह से
तीस दिन, तीन महीने,
तीन सौ दिन के तीन फेरे,
बस बातें और बातें !!

पाहन घिस जाए,
धार भोथराए, 
जाने कस, 
बिधना गढ़ाए !!!

का करे !!
बसिया बसियौटा 
कहां ले सरियाएं
जाएं बरैं, बहाँय ।

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Thursday, October 9, 2025

'बहते बेड़े पर --'

 'बहते बेड़े पर --'


अंदाज़े बयां, 
बहुतै बिजी, 
अभी बात करते, 
अभी मीटिंग में, 
बिसर गया, 
कल बताते,
कल बात करते,
दोपहर में, 
शाम में पक्का
 बात करते ! 

अभी बाहर, 
अभी अपने देस, 
अभी बीमार,
बात हो भी तो, 
बरजते बताते,
कुछ बता कर,
बकिया कल !

कल आता,
बमुश्किल कभी, 
बताते ईमानदार कोशिश, 
विचार कर रहे,
बस लगे हैं,
बस हुआ ही,
जल्द भेजते, 
बस होता होता, 
बहुत दिन आए गए। 
 
बिसर गए का !!
अरे नहीं,
सब याद है, 
बस हो जाए तो बताएं,
धीमा-तेज हुआ,
बताते हैं, 
बस अब होगा,
कचहरी की तारीख़ जैसी
तारीख़ दर तारीख़, 
हनुमान जी की पूँछ जैसी 
बात हो गई। 

बहुतै बकवास, 
बरसाती बखान,
बुड़बक बनाते,
बड़का वाले
बयान बीर 
क्या खूब !!
बहते बेड़े पर सवार !!!

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Sunday, September 7, 2025

 करते करते तैयारी, खेली तेरह बरस की पारी,

करते करते तैयारी, खेल अभी भी है ज़ारी।

06.09.25

Wednesday, August 27, 2025

सफर में !!

सफर में !!
चाहे अनचाहे,
चलना तो,
पड़ता ही है ।

हर मुकाम से आगे,
कैसा भी हो !
चलना तो.
पड़ता ही है ।

प्यारी, कसकती
स्मृतियाँ समेटते,
चलना तो.
पड़ता ही है।

साथ में,
निरा अकेले,
चलना तो
पड़ता ही है ।

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Sunday, July 20, 2025

 'आई सावनी फुहार !!'

आई सावनी फुहार,
लइके बरखा बहार,
भीजे तन मन तार !!
हरियर हरियर,
बाग बागइचा
हरियर सुघ्घर बान !!
केश भिजावै,
आनन भीजै,
अंजुरी भरि भरि पान !!
बहै सावनी बयार,
झूलै झू s ला हजार,
आई सावनी फुहार !!

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राकेश तिवारी : 17 July 2025