Monday, December 16, 2024

जिस भी घाट पे दिखा किनारा मंजिल दूर हुई, 
जिस कगार का लिया सहारा वो ही खिसक गई । 

फिर भी एक तसल्ली पाई अंगुरी हाथ गही,
पूरी नहीं मगर मगन मन थोड़ी बहुत रही ।

Sunday, November 24, 2024

 आज की रात फिर चांद पूरा खिला,
आज फिर से समुंदर में लहरा उठा ।
जहां भी जगत में रहेगा अंधेरा,
वहीं का सफर तय करेगा अकेला ।
रात भर का रहेगा बसेरा यहां,
कहाँ पर रुकेगा ये जाना कहाँ।
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15 Nov 2024

Friday, August 30, 2024

 इसी बहाने घूमे टहले,
बोले बहके, नई डगर पे,
विस्मय भर भर देखे समझे, 
पर्वत बादल धरती पानी, 
हासिल पाए नए तजुर्बे,
एक टिकट में दो दो खेले,
दाम वसूले घलुए में ! 
रहे ज़माना ठेंगे पे  !!

24 August 2024

Saturday, August 3, 2024

तारीखें


ये तारीखें भी गजब करती है,
फिर से आकर वहीं ठहरती हैं।  

उन्हीं लम्हों में फिर जिलाती हैं, 
उन्हीं लफ़्ज़ों में बात करती हैं।
  
उन्हीं जज़बातों को फिर जगाती हैं, 
नरम सोतों सा फिर बहाती हैं।  

कुरेद कर फिर उधेड़ जाती हैं,   
किसी चरखी सी घूम आती हैं !

मुंदी पलकों में बसी बरसों से, 
घुमड़ आँखों में डुब-डुबाती  हैं।  

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Friday, July 26, 2024

निरभ्र क्षितिज,
मुचमुचाती आँखें, 
अव्यक्त अबूझ चाहतें। 
जिज्ञासा, कौतूहल, रुचियाँ।  
आकर्षण, सौंदर्य बोध, 
रसना, आसक्ति, 
शिक्षा, ज्ञान, पाप-पुण्य।  
गुण-दोष, राग-विराग,
सम्मोहन,अनुभव, विवेक, 
पूर्ण समुच्चित एकरूप।  

Wednesday, July 17, 2024

'सफरी' किसी ठौर पे, टिकते ही कहाँ !! 
ठहर जाएं इसी ठौर पे, ये कैसे कहें !! 

Friday, July 12, 2024

मानो अंतिम श्वास तक में बसे रहना हो।

 मानो अंतिम श्वास तक में बसे रहना हो।  


सुख के पल आ जाते हैं,  
कभी कभी अचानक, 
जिनके बारे में कभी सोचा ना हो। 

सुख के वे पल भी आते हैं,
कभी कभी, जिनका !
बहुत दिनों से बहुत इन्तिज़ार रहा हो।  

सुख के पल आ जाते हैं,  
कभी कभी ऐसे,   
जैसे जन्मों का नाता रहा हो।  

दुःख भी आते हैं 
कभी कभी अचानक, 
कभी कभी नियति से सुनिश्चित। 

ज्यादातर सुख और दुख 
दोनों आते रहते हैं जैसे 
बस उनको आना-जाना ही हो।  

कुछ दुःख आते हैं 
गहरी टीस संग ठहरने के लिए, 
मानो अंतिम श्वास तक में बसे रहना हो।  

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