Explorer's Blog
Saturday, May 6, 2017
हो जाता है गुमान
हो जाता है गुमान कुछ लोगों को अपनी खुद्दारी का कुछ ऐसा,
कि अपनी ख़ुदग़रज़ी में भी गलत होने का एहसास नहीं होता।
समझते हैं वही सच है मुकम्मल जो उनके ज़ेहन में पलता है,
बकिया के सब का वज़ूद उनकी ही ज़हनियत से तुलता है।
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