Tuesday, May 9, 2017

कभी ना कभी

कभी ना कभी
नेह रखना बचा कर के थोड़ा अभी,
वक्त रखना संजो कर के थोड़ा अभी।
आएंगे, एक दिन, तुमसे मिलने कभी,
बैठ कर, बात करने को, तुमसे कभी।
घाट पर जा के नइया लगेगी कभी,
रेत पर रात फिर से बिताने कभी।
फिर से नन्हे घरौंदे बनेंगे कभी,
गीली बालू पे चुप-चुप चलेंगे कभी।
बिना बोले भी बातें करेंगे कभी,
खुल के हंसते हंसाते रहेंगे कभी।
ये है पूरा भरोसा मिलेंगे कभी,
ये ही चाहत सहेजे कभी ना कभी। 
नेह रखना बचा कर के थोड़ा अभी,
वक्त रखना संजो कर के थोड़ा अभी। 

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