'ऐ बादल !'
'ऐ बादल !'
नीले गहरे
आसमान में,
सूखे पसरे
बियाबान में,
श्रंगावालियों के
हिम में,
ऊँचे वृक्षों की
फुनगी में,
बहती जाती
धारा में,
भोर दुपहरी
संझा में,
किस तलाश में !
ख़ामोशी से.
मंत्रमुग्ध,
खोए खोए,
यूँ भटका करते हो !
ऐ बादल !!!
आसमान में,
सूखे पसरे
बियाबान में,
श्रंगावालियों के
हिम में,
ऊँचे वृक्षों की
फुनगी में,
बहती जाती
धारा में,
भोर दुपहरी
संझा में,
किस तलाश में !
ख़ामोशी से.
मंत्रमुग्ध,
खोए खोए,
यूँ भटका करते हो !
ऐ बादल !!!
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