Explorer's Blog
Monday, November 14, 2022
इधर न उधर,
अधर में,
व्याकुल व्यथित,
सौरमंडल में,
भारहीन तिरता,
तलाश रहा है,
धरित्री से नाते की,
असल डोर,
जहां भी जैसी भी है।
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