' अनजान मत बनिए !!'
18.11.2019
क्या ऐसा हो गया, बतला !
कि यूँ मायूस क्यों हुए !!
कि यूँ मायूस क्यों हुए !!
छुपा रहे हैं आप जो !
कहे बिना भी ना छुपे !!
कहे बिना भी ना छुपे !!
रहे चुपचाप ओ गुमसुम !
कि खामोशी बहुत बोले !!
कि खामोशी बहुत बोले !!
ये मंज़िल है नहीं तेरी !
नहीं ठहरें चले चलिए !!
नहीं ठहरें चले चलिए !!
कि लम्बी हैं बहुत राहें !
यूँ आहत हो नहीं रुकते !!
यूँ आहत हो नहीं रुकते !!
ठिकाने मिल ही जाएंगे !
भरोसा आप पे रखिए !!
भरोसा आप पे रखिए !!
बहुत है कीमती हर पल !
कि रसिए डूब कर रमिए! !!
कि रसिए डूब कर रमिए! !!
कि सुन कर टेर ये जगिए !
कि यूँ अनजान मत बनिए !!
कि यूँ अनजान मत बनिए !!
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