Explorer's Blog
Sunday, June 8, 2014
न पावैं सार
पढ़ा
सुना
गुनतै
रहैं
,
समझ
न
पावैं
सार
,
नियत
घड़ी
आए
तबै
,
आखर
हों
साकार।
हम
समझैँ
हम
कर
रहे
,
करता
सब
करतार
,
डाँड़
गहैं
हम
हाथ
में
,
साधै
खेवनहार।
कभी
कभी
ऐसा
घटै
,
अकल
न
पावै
पार
,
सब
कुछ
लागै
तयशुदा
,
मानै
बारमबार।
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