Monday, May 14, 2018

गंगा-घाट

गंगा-घाट

वाह !!! क्या फकीरी मिजाज़ है, अपना भी। 
इलाज भी कराते हैं, 'पर्यटन' समझ कर !!!!!

तिजारती माल है हमारा, दुनिया भर का मरीज़, 
कितने खुश हैं हम, बढ़ रही तादाद देख कर !!!!

कारोबार बेहतर चल रहा, रुपयों की बाढ़ पर !!
क्यों कर विदेशी ही गिने, हम भी हैं बेशुमार !!!!!

कितना संवेदनशील हो गया है अपना देश महान !!! 
कितनी दुकानें खुल रहीं, मरघट के आस पास !!!!!

चलो चलें, फिर से घूम आएं जरा, गंगा-घाट पर, 
क्या कुछ हिसाब चल रहा है, डोम-राज का !!!!!

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