Monday, February 5, 2018

जनम !!!

जनम !!!
कितना अच्छा होता है
एक साधारण कुल,
गाँव या नगर में,
बिना किसी पारम्परिक,
तमगे के, जनम पा लेना।
बोझ नहीं होता कोई,
न मन पर, न काँधे पर,
बड़े कुल की प्रतिष्ठा,
जातिगत या किसी दीगर
बड़प्पन या धन के दम्भ का।
कोई बंधन नहीं होता,
कुल के रोशन नाम को
बढ़ाते रहने का, या
साधारण होते हुए भी,
बड़ा दिखने का।
कितना उन्मुक्त होता है
साधारण लोगों में रहना,
साधारण स्कूल में पढ़ना,
लड़ते झगड़ते, गरियाते,
गाली खाते, आगे बढ़ना।
गर कुदरत ने ही
नहीं बख्शा है कोई इल्म,
कितनी भी खपाची तान लें,
गिर ही जाता हैं,
बड़े से बड़ा कुल का मंसूबा।
कोशिश तो बहुत
की गयी होगी तब भी,
लेकिन क्या हुआ,
मौर्य-मुग़ल वंशीय,
होनहार बरखुरदारों का !!
उधर साधारण कुल में
जन्मा, भेड़ चराने वाला
बन जाता है चन्द्रगुप्त महान,
नाविक का बेटा राष्ट्रपति कलाम,
और जाने क्या क्या !!
और, अगर नहीं बन पाया,
कुछ खास, तो भी,
कुढ़ना पछताना नहीं पड़ता,
कोई गम नहीं होता,
नामी, बदनामी या गुमनामी का।
बस मस्ती से जीता है,
सारे जंजालों से परे,
महज साधारण हो कर।
कितना अच्छा होता है,
ऐसा जनम पा लेना !!!
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