चलती है ज़िन्दगी
डगर ही सिमट रही।
क्या गुफ़्तुगू करेंगे अब,
अलाव बुझ चली।
हैं काफिले अब भी, मगर,
वो बानगी नहीं।
उड़ने को उड़ रहे, मगर,
डैनों में ख़म नहीं।
ता-ज़िन्दगी ढूंढा, मगर
वो नज़र आया नहीं।
क्या करोगे जान कर,
उनका पता नहीं।
हो तुम बहुत प्यारे, मगर
वो हमसफ़र नहीं।
क्या सुनाएं दिल-लगी,
अब तो चला-चली।
फिर भी चलो, जिस मोड़ तक,
चलती है ज़िन्दगी।
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