जोगीरा सारा रा रा
जोगीरा सारा रा रा ------------ बूझो कौन
होरियारे धावन लगे, बाजन लागे चंग,
फाग उड़ाते डोलते, उड़ै केसरिया रंग।
फाग उड़ाते डोलते, उड़ै केसरिया रंग।
सोचत ते आराम से, पहुंड़ रहेंगे घर,
लेकिन आलस टूटि गा, चढ़ा गुलाबी रंग।
लेकिन आलस टूटि गा, चढ़ा गुलाबी रंग।
तन मन बौरावन लगे, फरकन लागे अंग,
पग अपनौ बहकन लगे, चढ़ गयी थोरी भंग।
पग अपनौ बहकन लगे, चढ़ गयी थोरी भंग।
चुहल भरी होरी मिली, हरिनाकश्यप संग,
आपौ थोरा भीज कर, छको फाग के तंज।
आपौ थोरा भीज कर, छको फाग के तंज।
जोगीरा सारा रा रा, जोगीरा सारा रा रा -----
सारा रा रा -----सारा रा रा -----सारा रा रा -----
सारा रा रा -----सारा रा रा -----सारा रा रा -----
१.
आज बिरज में होरी मेरे रसिया,
आज बिरज में होरी बृजबसिया।
नब्बे पार शतक का चस्का,
रस भीने ज्यों छलका ढरका।
पदम् राग सोहै माथे पर,
रंग गुलाल शोभै गाले पर।
छूटत नाहीं रंग ये गहरा,
बाबा फिर फिर बन गए रसिया।
राधे राधे गुनती दुनिया !!!!!
आज बिरज में होरी मेरे रसिया,
आज बिरज में होरी बृजबसिया।
नब्बे पार शतक का चस्का,
रस भीने ज्यों छलका ढरका।
पदम् राग सोहै माथे पर,
रंग गुलाल शोभै गाले पर।
छूटत नाहीं रंग ये गहरा,
बाबा फिर फिर बन गए रसिया।
राधे राधे गुनती दुनिया !!!!!
(जोगीरा सारा रा रा --- , जोगीरा सारा रा रा --- बूझो कौन)
२.
काशी में केशव मिले
फागुन में बौराय,
अल्ल बल्ल बकने लगे,
अस्सी में पतियाय।
उज्जर केश केशनि किए
केशव समझ न पांय,
बानर बालक एक से
बाबा कहि कहि जांय।
ऐसी वय तुम्हरी भयी,
प्रभु ही करैं सहाय।
काशी में केशव मिले
फागुन में बौराय,
अल्ल बल्ल बकने लगे,
अस्सी में पतियाय।
उज्जर केश केशनि किए
केशव समझ न पांय,
बानर बालक एक से
बाबा कहि कहि जांय।
ऐसी वय तुम्हरी भयी,
प्रभु ही करैं सहाय।
(जोगीरा सारा रा रा --- , जोगीरा सारा रा रा --- बूझो कौन)
३.
हरिद्रोही हद्दई करैं
पकै उद्द की दाल।
लखनउआ बानी धरैं,
बनी सजीली चाल।
उमर भई बन में ह्लैं
चुस्की लें मुस्काय।
सबै कहीं विचरा करैं
नारद मुनि की नाय।
बड़े बड़े बूड़ा किये,
माया समझ न आय।
हरिद्रोही हद्दई करैं
पकै उद्द की दाल।
लखनउआ बानी धरैं,
बनी सजीली चाल।
उमर भई बन में ह्लैं
चुस्की लें मुस्काय।
सबै कहीं विचरा करैं
नारद मुनि की नाय।
बड़े बड़े बूड़ा किये,
माया समझ न आय।
(जोगीरा सारा रा रा --- , जोगीरा सारा रा रा --- बूझो कौन)
४.
रश्मिरथी के रंग में,
रंगी गैंती देख,
नए नए रंग में रंगी,
परत उतरती देख।
देख रंगीली पॉटरी,
उठती नयी उमंग,
साठ पार पाठा भए,
मोछा भरे तरंग।
रश्मिरथी के रंग में,
रंगी गैंती देख,
नए नए रंग में रंगी,
परत उतरती देख।
देख रंगीली पॉटरी,
उठती नयी उमंग,
साठ पार पाठा भए,
मोछा भरे तरंग।
(जोगीरा सारा रा रा --- , जोगीरा सारा रा रा --- बूझो कौन)
५.
दाढ़ी में रंग बहुत हैं,
जित देखौ तित रंग,
चित चंचल मानत नहीं,
चितवन चरिहुँ लंग।
सबकी होरी बर रही
बरस बरस के रोज़,
वै लूका थामे फिरैं,
गली गली में तंग।
होरियारे मानें नहीं,
घेर लिए लै रंग,
होरी में उनकौ किए,
चारों खाने चित्त।
दाढ़ी में रंग बहुत हैं,
जित देखौ तित रंग,
चित चंचल मानत नहीं,
चितवन चरिहुँ लंग।
सबकी होरी बर रही
बरस बरस के रोज़,
वै लूका थामे फिरैं,
गली गली में तंग।
होरियारे मानें नहीं,
घेर लिए लै रंग,
होरी में उनकौ किए,
चारों खाने चित्त।
(जोगीरा सारा रा रा --- , जोगीरा सारा रा रा --- बूझो कौन)
६.
लागी ऐसी लग गयी,
एकहि एक लकीर,
गंगा तीरे बस गयी,
उनकी सब तदबीर।
जाय द्वारिका बस रही,
गोकुल की तसवीर।
ब्रज की छूटी अस बसी
गोपिन भईं अधीर।
उद्धव गति लेकर फिरैं,
अगिया वारे बीर।
लागी ऐसी लग गयी,
एकहि एक लकीर,
गंगा तीरे बस गयी,
उनकी सब तदबीर।
जाय द्वारिका बस रही,
गोकुल की तसवीर।
ब्रज की छूटी अस बसी
गोपिन भईं अधीर।
उद्धव गति लेकर फिरैं,
अगिया वारे बीर।
(जोगीरा सारा रा रा --- , जोगीरा सारा रा रा --- बूझो कौन)
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