यकीन
यकीन अब यकीनन हो गया,
किसी पर यकीन ही नहीं रहा।
हुआ यूं कि कुछ बनवाने चला,
यकायक एक सबक पा लिया।
बालू सीमेंट से बाज़ार में पाला पड़ा,
कहीं कम कहीं ज़्यादा घोटाला मिला।
ठेकेदार ने ठसक से कान में फूँका,
दूकान पर ज़रा संभल कर रहना ।
उसने बताया जो ऊंची दूकान वाला,
सावधान बड़े बनिया का नाम बिकाता।
दूकान वाले ने चुपके से कान में फूँका,
भरोसे पे नहीं सब सम्भाल कर रखना।
ठेकेदार हो या प्लम्बर, भरोसा मत करना,
पेंच हो पाइप या टोंटी, ताले में रखना।
मिस्त्री ने राज ठेकेदार का खोला,
मजूरों ने सुराग-ए-राज़ सुनाया।
हर रद्दे पे नया पाठ रोज़ ही रहा पढता ,
छोटा, बड़ा, कोई किसी से कम नही होता।
'बाबा भारती' का वह दिलकश घोड़ा,
'शाह' तक वापस नहीं किया करता।
वक्त है आखिर वहीँ कैसे टिकता,
कोई किसी पे यकीन ही नहीं करता।
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