सुदामा याद आता है
हितैषी हो अगर कोई, सदा सद मान रखता है,
गर्दिश में आ जाएं, तो अंगुली थाम लेता है।
बहुत से धन ज़माने में, जमा कर कोई सकता है,
मगर इक मीत जीवन में, खुदा ही भेंट करता है।
बहक जाएं जो राहों से, हमें रस्ते पे लाता है,
कभी जो हार के बैठे, भरोसा वो दिलाता है।
नहीं अच्छे - भले में ही हमारा साथ देता है,
बुरा करने पे नाराज़ी से नश्तर मार देता है।
बढ़ें जो आप आगे हम, ख़ुशी से वो अघाता है,
जहां मिलता है, धीमे से, मगन वो मुस्कुराता है।
धन, बोल, बानी, कद. बड़ा, ना दर्प करता है,
गले मिलता है ऐसे वो, सुदामा याद आता है।
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