१.
मुंशी वही, नाटक वही, किरदार क्या करें,
जो कहानी मिल गई, मंचन वही करें ।
2.
राजा वही, रानी वही, चाकर वही करें,
चारण सुहाते हैं वही, कैसे बसर करें।
3.
मालिक वही, उनकी ही शै, तकरीर क्या करें,
जो एक बार कह दिया, उतना किया करें।
४.
तौल सब उनकी रही, पासंग क्या करें,
बढी-चढी उनकी रही, घाटा यहाँ धरें।
५.
खूंटों में बंध गए वहीं, कैसे कदम बढें,
उठते वहीं थमते वहीं, ज़ज़्बात क्या करें।
६.
आलिम वही, फाजिल वही, किससे जिरह करें,
भाग-ओ-गुणा, उन्ही का है, हिसाब क्या करें।
७.
कातिल वही, मुंसिफ वही, किससे अरज करें,
बेहतर यही है, हम कहीं, गुमनाम हो रहें।
८.
पिंजरा वही, फंदे वही, दाना वही करें,
बंधन हटें, डैने खुलें, पर फड़-फड़ा रहे।
------
जो कहानी मिल गई, मंचन वही करें ।
2.
राजा वही, रानी वही, चाकर वही करें,
चारण सुहाते हैं वही, कैसे बसर करें।
3.
मालिक वही, उनकी ही शै, तकरीर क्या करें,
जो एक बार कह दिया, उतना किया करें।
४.
तौल सब उनकी रही, पासंग क्या करें,
बढी-चढी उनकी रही, घाटा यहाँ धरें।
५.
खूंटों में बंध गए वहीं, कैसे कदम बढें,
उठते वहीं थमते वहीं, ज़ज़्बात क्या करें।
६.
आलिम वही, फाजिल वही, किससे जिरह करें,
भाग-ओ-गुणा, उन्ही का है, हिसाब क्या करें।
७.
कातिल वही, मुंसिफ वही, किससे अरज करें,
बेहतर यही है, हम कहीं, गुमनाम हो रहें।
८.
पिंजरा वही, फंदे वही, दाना वही करें,
बंधन हटें, डैने खुलें, पर फड़-फड़ा रहे।
------
No comments:
Post a Comment