अंतिम धार
ये भी कैसी यारी अपनी, जीवन भर की पारी है,
दाँव चला है उनने ऐसा, अपनी भी मजबूरी है.
२
चिकने चेहरे भरी लुनाई, कैसी की ऐय्यारी है,
सबके भेद खुले है यारों, उनकी भी तैय्यारी है.
३
गिरते पड़ते, चलते रहते, मंजिल यहाँ ख़ुदाई है,
झोली खाली, दिल की, अपनी पूरी खुली लटाई है.
४
जिस कीमत पर दांव लगा है, उसकी ना मंजूरी है,
इसी जनम में धरम बदल लें, ये तो ना दस्तूरी है.
५
गली-अली घर ऊंचे मंदर, आतिश जले उधारी है.
चमक दमक के आगे दिखती यह कारी अंधियारी है,
६
जिनका जीवन कई कलप का, उनकी ये बीमारी है,
अपना ज़्यादा बीत चुका, अब थोड़ी सी मेहमानी है.
७
नेह लगा कर सुनो हमारी अंतिम धार कहानी है,
कहा सुना अब माफ़ करो जो हमने की नादानी है.
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