Thursday, January 3, 2013

कोहरा घना


कोहरा घना


1.
कौन से रस्ते चलूं, यह राह का अंतिम सिरा,
उम्र के इस मोड़ पर, कौन सा हो फलसफा?

2.
कल से ज़्यादा आज है, ये हर तरफ कोहरा घना,
जिस तरफ भी देखता हूँ, उस तरफ संशय बड़ा।

3.
कौन से साथी चुनूं , किस दिशा का कारवां,
द्वंद अपने दिल में है, यह किस तरह तिरछा अड़ा।

4.
मन मचलता कह रहा, ज्यादा यहाँ मत सोचना,
राह जाने ही बिना तू, चल चला चल, मन चला।

5.
मंजिल मिलेगी या नहीं, इसको नहीं तजबीजना,
मौज चलने में  मिलेगी, यह सफ़र इक सिलसिला।

6.
एक लय में तय न होगा, ये मुकामी फैसला,
कुछ कदम हम भी चले, इतना रहेगा हौंसला।

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