Thursday, November 8, 2012

जिनको सोचा था भूल गये



जिनको सोचा था भूल गये 
1
जिनको सोचा था भूल गये, वो पलट-पलट  कर आते हैं, 
सुबह धुंधलके आते वो, वो गोधुलिया में आते हैं। 

2
मौसम के आने जाने पर, रंग बदलते आते है,
सुरमई हवा में आते हैं, ठुनठुनी धूप में आते हैं। 

3
 दीवाली में, होली में, त्योहार-तीज पर आते हैं, 
जाने पहचाने चेहरों में, रूप नए धर आते हैं। 

4
लिए लुनाई वय बचपन की, मंडराते वो आते हैं,
सुंदर सहज किशोरावस्था में, ताज़ा वो आते हैं।   

5
दरवाज़े पर खडे प्यार से, विदा कर रहे आते हैं,
उस खिडकी से गली किनारे, हाथ हिलाते आते हैं। 

6
पहचानी धज में सज कर, वो बड़े करीने आते हैं,
रंग रंगीले भाव जगाते, घूम घूम कर आते हैं। 

7
सुबह सवेरे हरी घास पर, बिछी ओस अस आते हैं,
धूप पड़े पर उड़ जाते, फिर सांझ ढले आ जाते हैं। 

8
कानों में रुनझुन सा बजते, भर भर सुधियाँ लाते हैं,
अधरन पे साजे मुस्कान, कभी रुलाते आते हैं। 

9
नए साल पर मिले कार्ड पर, लिखे हरफ में आते हैं,
नहीं अभी भी भूले मुझको, याद कराते आते हैं। 

10.
भूली बिसरी बातें लिख लिख, रह रह कर भिजवाते हैं,
जब तक समझूं भूल गये,  'लौट के आये''* कहते हैं।  

11
बरस बरस पर आते है फिर मिलने को तड़पाते हैं, 
जिनको सोचा था भूल गये, वो पलट-पलट कर आते हैं। 

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* 'I am back'

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