सुरीली धुन बाजै सुनि सबहिं लुभावैं।
अंग अंग लसि अंग जगत बिसारै।।
अंग अंग लसि अंग जगत बिसारै।।
बरनि ना जाए श्याम माधुरी भिजावैं,
रस लीन, पाग पीत वसन लुभावैं।।
रस लीन, पाग पीत वसन लुभावैं।।
लागी लय लगन अमाय ना अमावै।
एक ही बरन श्यामा, श्याम लौं सुहावैं।।
एक ही बरन श्यामा, श्याम लौं सुहावैं।।
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घूमर फेरावैं श्यामा झूम लचि नाचैं ।
भीन भीन चाखैं श्याम मगन रिझावैं।।
भीन भीन चाखैं श्याम मगन रिझावैं।।
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