'अधूरी रही --'
घड़ी - दो घड़ी,
गुफ्तगू वो चली।
बहुत बात की,
कुछ कही,
कुछ सुनी।
सोचता हूँ अभी,
कुछ कमी रह गयी,
बात अपनी कही,
कुछ नहीं भी कही।
लब पे आयी, मगर,
फिर, दबी रह गयी।
भेंट में लायी,
उनकी वो,
नमकीन सी,
मुस्क़ुराती हुई,
लोचनों में बसी,
कोर कारी सजी,
वो वहीँ रह गयी।
आएँगे फिर कभी
तुम्हरी संकरी गली
बैठ कर फिर कहीं,
बात होगी अभी,
वो जो बाकी, अधूरी
अधूरी रही ।
वो जो बाकी, अधूरी
अधूरी रही ।
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घड़ी - दो घड़ी,
गुफ्तगू वो चली।
बहुत बात की,
कुछ कही,
कुछ सुनी।
सोचता हूँ अभी,
कुछ कमी रह गयी,
बात अपनी कही,
कुछ नहीं भी कही।
लब पे आयी, मगर,
फिर, दबी रह गयी।
भेंट में लायी,
उनकी वो,
नमकीन सी,
मुस्क़ुराती हुई,
लोचनों में बसी,
कोर कारी सजी,
वो वहीँ रह गयी।
आएँगे फिर कभी
तुम्हरी संकरी गली
बैठ कर फिर कहीं,
बात होगी अभी,
वो जो बाकी, अधूरी
अधूरी रही ।
वो जो बाकी, अधूरी
अधूरी रही ।
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