'सब कहैं 'बहल्ला' जग जाना !'
एक बरस यूं बीत गवा,
करते अपने ही मन का!
आज पलट कर देख रहा
कैसे बीता कल बीत गवा।
करते अपने ही मन का!
आज पलट कर देख रहा
कैसे बीता कल बीत गवा।
कुछ लोग धरे दाहिना बाँया,
बिनु काजू कहे जैसन बाबा !
कहा रहै अब उरझयौ ना,
नहीं बंधे हम खूँटा मा !
बिनु काजू कहे जैसन बाबा !
कहा रहै अब उरझयौ ना,
नहीं बंधे हम खूँटा मा !
कुछ मुखड़न ते परदा सरका,
कुछ बेमन का तकरार भवा।
उनक्यौ मति मा यहु ना आया,
अरझे हमहू गरियाय दिहा !
कुछ बेमन का तकरार भवा।
उनक्यौ मति मा यहु ना आया,
अरझे हमहू गरियाय दिहा !
पन मान जाएं सोझै सोझा,
ऐसा अपनापन ना सूझा।
हमहू फिन हुर्रा हुमुक दिहा,
दीन हीन काहे समझा !
ऐसा अपनापन ना सूझा।
हमहू फिन हुर्रा हुमुक दिहा,
दीन हीन काहे समझा !
घर लौटा, धुर्रा पलट दिहा,
अपनै वाला गरदा चंहटा।
बोली बानी सब कुछ अपना,
अवधी अपनी अपना सगरा।
अपनै वाला गरदा चंहटा।
बोली बानी सब कुछ अपना,
अवधी अपनी अपना सगरा।
फिर लगा शनीचर पाँवन मा,
मलय देश डेरा डारा !
देखत भालत माला फेरा,
'चम्पा' का फेरा लगा !
मलय देश डेरा डारा !
देखत भालत माला फेरा,
'चम्पा' का फेरा लगा !
लिखत पढ़त पल छन बीता,
मन चाहा जैसा जिउ छीजा !
कुछ लेख लिखा, थोरी कविता,
घर बैठे कुछ कुछ काशी मा !
मन चाहा जैसा जिउ छीजा !
कुछ लेख लिखा, थोरी कविता,
घर बैठे कुछ कुछ काशी मा !
बहु कृपा कीन्ह परचा छापा,
कुछ मान पाय कुर्सी साजा !
उई समझ रहे हमका भकुआ,
पन उंच नीच हमहूँ जाना !
कुछ मान पाय कुर्सी साजा !
उई समझ रहे हमका भकुआ,
पन उंच नीच हमहूँ जाना !
कुछ मीत पुराने नए मिला,
भीत ढही कुछ नवा बना !
कुछ हम भूले कुछ वो भूला,
रिश्तन का तश्किरा मिला !
भीत ढही कुछ नवा बना !
कुछ हम भूले कुछ वो भूला,
रिश्तन का तश्किरा मिला !
फिर विंध्य लगा कितना अपना,
अपनों से नेह मिला कितना !
गंगा-पद्मा का मेल दिखा,
सोनार देश सोना सोणा ।
अपनों से नेह मिला कितना !
गंगा-पद्मा का मेल दिखा,
सोनार देश सोना सोणा ।
मर मर कर जीने का फ़ंडा,
सबै मुबारक भर-भर हण्डा !
हम तो बस अतनै जाना,
जी-जी के मरना अच्छा !
सबै मुबारक भर-भर हण्डा !
हम तो बस अतनै जाना,
जी-जी के मरना अच्छा !
वै उरझे अबहूँ पद पैसा,
जीवन उनको ही जीय रहा !
वै जीवै जस जीवन उनका,
हम जीय रहे अपने मनका !
जीवन उनको ही जीय रहा !
वै जीवै जस जीवन उनका,
हम जीय रहे अपने मनका !
कुछ दोस्त 'निठल्लन' में पावा,
फिन, शुरू भवा आना जाना !
एक संघ बना वहु अनजाना,
सब कहैं 'बहल्ला' जग जाना !
फिन, शुरू भवा आना जाना !
एक संघ बना वहु अनजाना,
सब कहैं 'बहल्ला' जग जाना !
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