Explorer's Blog
Thursday, October 19, 2017
बाती बाली नेह
बाती बाली नेह की, घिउ अगरू लपटाय,
दूरी लाँघि दिगन्त की,
जग सगरो महकाय।
बाती ते बाती मिली, बाढ़ै घन अति सोय,
भरि भरि पायी नेह निधि, बड़भागी
अस कोय
!!!!
मितवा !!!
बड़भागी
अस कोय
!!!!
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