Sunday, July 16, 2017

अखरती

अखरती

कानों में कूजन की गूजन झनकती,
लतरन में, डालिन में, अंखियाँ अरझतीं।  

बगिया की पगिया सूनी अखरती,
चहकती चिरइया की चुप्पी अखरती।  

बारिश की बहिया में मछरी तड़पती,                          
तलइया में छप-छप छपइया अखरती।        

करिया बदरिया बिजुरिया चमकती, 
झरती छपरिया में रिमझिम अखरती। 

टोला मोहल्ला में नैय्या टहलती, 
लाली बहुटिया की टोली अखरती।  

लइकन कै खेला-लिहाड़ी अखरती, 
पुरनके सँहरियन की बतियाँ अखरती।  

नयकन की टोका-टोकनी अखरती, 
ऐ बाबू ! अमवौ पै  बन्दिश अखरती।  

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