Thursday, July 9, 2015

'गुतेन ताक' *

July 7, 2015 at 10:04am

इस मुल्क में टहलते, कुछ अक्स याद आए,
लमहे बहुत पुराने, फिर लौट लौट आए।

पढ़ने लगे थे 'जर्मन', उनसे, वो याद आए,
स्कूल था वहीँ पर, 'म्यूलर' की रोड जाए ।

पाती में वो लिखाए, पढ़ने  की याद आए,
'गुतेन ताक' माने, अपनी समझ ना आए।  

'माइन नाम ईस्त' बोले, लड़के का नाम होए,
'फ्राउलिन' लगा के बोले, लड़की का काम होए।

वो तो रहे सिखाते, हम ही न सीख पाए,
वो संग-साथ ऐसे, बस याद में ही आएं।  

वादी-ए-राइन देखें, डेरे लगा के आएं,
दान्यूब के किनारे, किश्ती चलाते जाएं।  

वो 'बोर्ड्स वो '' बोज़ेन्स्की', 'ज़्वेनेर' का नाम आए,
गुरुवर ने जो पढ़ाए वो नाम याद आए।

वो शख्श गुज़रे लमहे, ज़ज़्बात अब ना आएं.
वो उड़ गए हवा से, अब फिर कहाँ से पाएं।

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 * नमस्कार 

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