February 4, 2014 at 8:38pm
2.7 किला प्रोटेक्ट किया है, अंदर का हिस्सा नहीं
गेस्ट हॉउस के सामने जमे खलीफा चुनार के किले से बढ़ना ही नही चाहे। सामने का दृश्य देखते उनका दिल बार बार बहा जाता। हाइपर संवेदनशीलता के लिए चर्चा में रहने वाले बंगाली मोशायों में भी उन्हें कुछ ऊपर के दर्ज़े में रखना होगा। रुक रुक कर बोलते जाते -
"लोकेशन देखा इसका ?
नदी का रास्ता आए या ज़मीन का रास्ता इसका पार पाए बिना आगे नहीं जाने सकता।
हाथी-घोड़ा और पैदल सेना का लिए तो और भी मुश्किल रहा होगा।
यहीं कहीं पड़ोस में बाबर गैंडा का शिकार किया।
शेरशाह, और अगला अगला मुग़ल बादशाह का कब्ज़ा में रहा।"
"वारेन हेस्टिंग्स का बँगला ठीक करा कर म्यूजियम बनाया, बहुत ठीक किया।
सारा देश में इसका नाम बाबू देबकी नोन्दन खत्री का भूतनाथ - चोंद्रकांता के कारण बिख्यात हुआ।
हमरा बंगाल का कितना आदमी आता है दुर्गा पूजा में, बिदेशी भी आता यहाँ घूमने वास्ते।
दूसरा जोगह होता तो कितना बड़ा टूरिस्ट सेंटर बनाता।
ये पोलिस-पी. ए. सी. का हाथ क्यों दिया ? बंकर बना कर सब बरबाद कर रहा। "
नाचीज़ ने बड़े अदब से उन्हें बताया कि - 'सूबे के सैलानियों की टहल-खबर का बंदोबस्त और पुराने किलों का रख रखाव करने वाले महकमों के आला लोग इस और सजग हो गए हैं। कोशिश में हैं इसकी दशा सम्भालने और सैलानियों को लुभाने के उपाय करने में. हाँ ये बात दीगर है कि यहाँ के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर को हटाने से पहले उन्हें दूसरी जगह देने में समय तो लगेगा।"
खलीफा इतनी आसानी से कहाँ मानने लगे। गोली चलने लगें तो फिर कहाँ देखते हैं किसको लगी, बस चल गई तो चल गई -
"सब बड़ा-बड़ा बात करता है, करता कुछ नहीं। पुलिस नहीं हटा सकता, क्या बात है ?"
इतना सुन कर अपन भी कुछ खुल कर सामने आए -
"सरकारी नौकरी किए होते तब ना समझते आप। मौक़ा पाते ही पैतालीस मिनट का भासन झारने में कुछ नहीं लगता। आपको पता भी है कैसे कैसों से पाला पड़ता है यहाँ ?
पुलिस हटाने और बनकर बनाने के मसले को उप्पर तक उठाना बहुत सा अफसरान को बहुत जायज लगा लेकिन कुछ को निहायत नाकाबिले बर्दाश्त।
वो मसल तो सुने ही होंगे - शेर का रास्ता नहीं काटना चाहिए।
मामला ज़ोर से उठने के चलते बैरक बनाने पर रोक लगवा कर यह गलती करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की धमकी खुले आम मिली।
दूसरे अलम्बरदार दिमाग के मज़बूत ठहरे सो उन्होंने लॉजिक समझाया - "देखिए सरकार ने किला प्रोटेक्ट किया है ना, अंदर का खुला हिस्सा नहीं, आपका ऑब्जेक्शन इस पर लागू नहीं होता !! "
खलीफा की सारी तीरंदाज़ी जाती रही। मुस्करा कर पूछा - "तुम इस पर क्या बोला?"
बताया - "क्या बोलता। वो हमारे बॉस के साथ पढ़े रहे। तिक्खे मुंह एक आँख दबा कर चुप लगाने का इशारा किए।
----
क्रमशः
गेस्ट हॉउस के सामने जमे खलीफा चुनार के किले से बढ़ना ही नही चाहे। सामने का दृश्य देखते उनका दिल बार बार बहा जाता। हाइपर संवेदनशीलता के लिए चर्चा में रहने वाले बंगाली मोशायों में भी उन्हें कुछ ऊपर के दर्ज़े में रखना होगा। रुक रुक कर बोलते जाते -
"लोकेशन देखा इसका ?
नदी का रास्ता आए या ज़मीन का रास्ता इसका पार पाए बिना आगे नहीं जाने सकता।
हाथी-घोड़ा और पैदल सेना का लिए तो और भी मुश्किल रहा होगा।
यहीं कहीं पड़ोस में बाबर गैंडा का शिकार किया।
शेरशाह, और अगला अगला मुग़ल बादशाह का कब्ज़ा में रहा।"
"वारेन हेस्टिंग्स का बँगला ठीक करा कर म्यूजियम बनाया, बहुत ठीक किया।
सारा देश में इसका नाम बाबू देबकी नोन्दन खत्री का भूतनाथ - चोंद्रकांता के कारण बिख्यात हुआ।
हमरा बंगाल का कितना आदमी आता है दुर्गा पूजा में, बिदेशी भी आता यहाँ घूमने वास्ते।
दूसरा जोगह होता तो कितना बड़ा टूरिस्ट सेंटर बनाता।
ये पोलिस-पी. ए. सी. का हाथ क्यों दिया ? बंकर बना कर सब बरबाद कर रहा। "
नाचीज़ ने बड़े अदब से उन्हें बताया कि - 'सूबे के सैलानियों की टहल-खबर का बंदोबस्त और पुराने किलों का रख रखाव करने वाले महकमों के आला लोग इस और सजग हो गए हैं। कोशिश में हैं इसकी दशा सम्भालने और सैलानियों को लुभाने के उपाय करने में. हाँ ये बात दीगर है कि यहाँ के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर को हटाने से पहले उन्हें दूसरी जगह देने में समय तो लगेगा।"
खलीफा इतनी आसानी से कहाँ मानने लगे। गोली चलने लगें तो फिर कहाँ देखते हैं किसको लगी, बस चल गई तो चल गई -
"सब बड़ा-बड़ा बात करता है, करता कुछ नहीं। पुलिस नहीं हटा सकता, क्या बात है ?"
इतना सुन कर अपन भी कुछ खुल कर सामने आए -
"सरकारी नौकरी किए होते तब ना समझते आप। मौक़ा पाते ही पैतालीस मिनट का भासन झारने में कुछ नहीं लगता। आपको पता भी है कैसे कैसों से पाला पड़ता है यहाँ ?
पुलिस हटाने और बनकर बनाने के मसले को उप्पर तक उठाना बहुत सा अफसरान को बहुत जायज लगा लेकिन कुछ को निहायत नाकाबिले बर्दाश्त।
वो मसल तो सुने ही होंगे - शेर का रास्ता नहीं काटना चाहिए।
मामला ज़ोर से उठने के चलते बैरक बनाने पर रोक लगवा कर यह गलती करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की धमकी खुले आम मिली।
दूसरे अलम्बरदार दिमाग के मज़बूत ठहरे सो उन्होंने लॉजिक समझाया - "देखिए सरकार ने किला प्रोटेक्ट किया है ना, अंदर का खुला हिस्सा नहीं, आपका ऑब्जेक्शन इस पर लागू नहीं होता !! "
खलीफा की सारी तीरंदाज़ी जाती रही। मुस्करा कर पूछा - "तुम इस पर क्या बोला?"
बताया - "क्या बोलता। वो हमारे बॉस के साथ पढ़े रहे। तिक्खे मुंह एक आँख दबा कर चुप लगाने का इशारा किए।
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क्रमशः
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