Avdhesh Sharma Wo din yaad karo--wo hansna hansana..wo chip chip ke milna.....Lkw Univ Zim ki 20 ft Rassa chadna ..jo sab nahi chad paate the .....
अवधेश शर्मा जी के उपर्युक्त उद्गारों के नाम
अपनी ही बात ऎसी
हम क्या बताएं वो थी, अपनी ही बात ऎसी।
कनखी से देख लेते, इतनी ही, हद थी अपनी।
उस पार के सहन में , हौले से दौड़ती थी ।
उस राह से गुजरते, खिडकी ज़रूर खुलती।
धीरे से मुस्कराती, धीरे से राह चलती।
कालेज का मोड़ आता, थी उसकी चाल थमती।
कहती नहीं, मगर वो, भावों से बात करती।
मिलती नहीं, अलग से, थी 'क्लास' में घुमडती।
कितना तो थी झिझकती, बस 'नोटस' मांग लेती।
मिलता नहीं था फिर भी, बस राह जोह लेती।
बेहोश जब पडा था, सिरहाने आ खडी थी।
था होश में जो आया, लोगों से ये सुनी थी।
थी देर मुझको होती, 'बस' उनकी छूट जाती।
'स्टाप' पर उतरती, मुड़-मुड़ के देख लेती।
गुजरा है दौर कितना, लगती है बात कल की,
कैसी सजी है दिल में, तसवीर तब की तैसी।
------
No comments:
Post a Comment