चढ़ल महीना चैत
१.
चढ़ल महीना चैत कै, गये दिवस नौ बीत,
बजत बधावा अवध में, भुइं प्रकटे रघुवीर.
बजत बधावा अवध में, भुइं प्रकटे रघुवीर.
२.
बाढ़न लागे दिन अबै, घिरै सांझ अब देर,
घाम परे जागन लगे, उमगि चले तरु फेर.
३.
महमह रतरानी महै, बेला महकै रात,
छाई दूधिया चांदनी, कोयल कूकै डार.
४.
मुनरी-चुनरी, सजि-संवरि, साँवरि साजे केश,
बाग-बनन, मधु मालिनी, चुनि-चुनि काढें टेस.
५.
चैती गावैं मगन मन, पीय मिलन चित आस,
चलत-चलत रुकि-रुकि चितैं, हिय चितवत हलकान.
६.
चैत वही उमगन वही, मन में पर सन्ताप,
रावण बहु बाढ़े वही, करौ वीर सँहार.
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